Dinkar Ardhnarishwar Kavi

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Dinkar Ardhnarishwar Kavi

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350.00 295.00

In stock

350.00 295.00

Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 180

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126724857

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

दिनकर अर्धर्नारीश्वर कवि

दिनकर आधुनिक हिंदी कविता के उत्तर–छायावादी वा नवस्वच्छंदतावादी दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। कवि–रूप में उनकी दो विशेषताएँ थीं। एक तो यह कि उनकी कविता के अनेक आयाम हैं और दूसरी यह कि उनमें अंत–अंत तक विकास होता रहा। ‘प्रण–भंग’ से लेकर ‘हारे को हरिनाम’ तक की काव्य–यात्रा जितनी ही विविधवर्णी है, उतनी ही गतिशील भी। दिनकर रचनावली के अवलोकन के बाद डा. नामवर सिंह ने उचित ही यह टिप्पणी की कि कुल मिलाकर दिनकरजी का रचनात्मक व्यक्तित्व बहुत कुछ निराला की तरह है।

दिनकर की कविता के उल्लेखनीय आयाम हैं – राष्ट्रीयता, सामाजिकता, प्रेम और श्रृंगार तथा आत्मपराकता एवं आध्यात्मिकता। इन आयामों का अतिक्रमण करते हुए उन्होंने अच्छी संख्या में ऐसी कविताएँ लिखी हैं, जिन्हें किसी खाने में नहीं रखा जा सकता। वस्तुतः ऐसी कविताएँ ही उन्हें महान् कवि बनाती हैं। सबसे ऊपर उनकी विशेषता है उनके व्यक्तित्व की ओजस्विता, जो उनकी प्रत्येक प्रकार की कविताओं में अभिव्यंजित होती है। स्वभावतः उनकी प्रेम–श्रृंगार और आध्यात्मिक कविताओं में जो लावण्य है, उसे एक आलोचक के शब्द लेकर ‘ओजस्वी लावण्य’ कहा जा सकता है।

नई कविता के दौर में दिनकरजी को वह सम्मान न मिला, जिसके वे अधिकारी थे। उन्हें वक्तृतामूलक और प्रचारवादी कवि कहा गया, जबकि सच्चाई यह है कि ये दानों बातें स्वतंत्रता–आंदोलन के प्रवक्ता कवि के लिए स्वाभाविक थीं, लेकिन ज्ञातव्य यह है कि उन्होंने श्रेष्ठ कविता का दामन कभी नहीं छोड़ा। दूसरे, समय के साथ उनकी कविता का तर्ज बदलता गया और वे भी ‘महीन’ कविताएँ लिखने लगे, जिनमें एक नई आभा है। निश्चय ही उनकी कविता हिंदी की कालजयी कविता है, उसे नया विस्तार और तनाव देनेवाली।

Additional information

Weight 0.5 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2013

Pulisher

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