Hanuman Nataka

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Hanuman Nataka

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Author: Sunil Gombar

Availability: 4 in stock

Pages: 88

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788190304337

Language: Hindi

Publisher: J. B. CHARITABLE TRUST

Description

हनुमन्नाटक : हनुमान विरचित रामकथा

अनुकम्पा और सत्प्रेरणा प्रभु प्रसाद की ही अलौकिक अनुभूति है। परम पावन श्रीराम कथा सदियों से हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रस शक्ति बन मूल कर्म प्रेरणा रही है। निरन्तर और बारम्बार अदभुत आनन्द वर्षा करने वाली यह चरित गाथा प्रत्येक का आत्मिक बल ही रही है।

इसी संदर्भ में अपने इष्ट परम कृपालु हनुमान जी की भक्ति, समर्पण पराकाष्ठा की प्राकट्य स्वरूप कृति ‘हनुमन्नाटक’ के विषय में जिज्ञासा और समाधान मार्ग से अलौकिक तथ्य ज्ञात हुये। बाल्मीकि जी की ‘रामायण’ से पूर्व ही सागर तट पर एकांत वास में प्रभु के नाम-रूप-स्मरण में लीन हनुमान जी ने स्वांतःसुखाय ही शिलालेखों पर नखों से उकेर कर यह विश्व की प्रथम राम कथा लिख डाली थी। इस अद्वितीय अनूठी काव्य कृति की सुगंध चहुं ओर विस्तारित हो रही थी, वहीं हनुमानजी महाराज भी राम नाम में निमग्न प्रेमाश्रु बहाते भावमुद्रा में आसीन थे। त्यागमूर्ति हनुमानजी ने बाल्मीकि जी की ‘रामायण’ को यश दिलाने की उनकी मनोदशा को जानते हुये स्वयं ही इन शिला खण्डों को सागर की अतल गहराइयों के हवाले कर दिया था। हतप्रभ बाल्मीकि हनुमंत त्याग का यह अद्वितीय साक्ष्य देख आत्म ग्लानि और हनुमंत वंदना से गद्गद् कंठ हो भाव विह्वल हो गये। ‘कपीश्वर’ हनुमानजी वेद वेदान्तों के श्रेष्ठतम ज्ञाता, काव्य और संगीत के सर्वश्रेष्ठ आचार्य हैं। जब कालान्तर में महाराज भोज पर प्रभु कृपा के चलते सागर की गहराइयों से हनुमत् शिला लेखन की यह सर्वोत्कृष्ट भक्ति भावना प्रकट हुई तो यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि वैदिक संस्कृत में, यह विश्व की सर्वप्रथम काव्य कृति हनुमन्नाटक विश्व में सर्वप्रथम अवतरित रामकथा ही थी।

मूल ग्रंथ जो महाराज भोज के सद्प्रयासों से पूर्णता प्राप्त कर सका, संस्कृत भाषा में होने के कारण दीर्घकाल तक यह विद्वजनों की भक्तिचर्चा का ही विषय रही। जन भाषा में विस्तारित करने की हमारी सदेच्छा को प्रेरणा मिली। इस अलौकिक आश्चर्य, भक्ति की इस समर्पण पराकाष्ठा और बाल्मीकि जी को यश प्रदान करने की यह ‘हनुमन्नाटक’ कृति का मूल भावानुवाद संपूर्णता से प्रस्तुत करते हम मंगलमूर्ति जी को बारम्बार नमन करते हैं।

यह उन्हीं मंगल प्रभु की मंगलकारी प्रथम कृति है, जिसे संपूर्ण विश्व में अलौकिक स्थान प्राप्त है। हनुमानजी के आशीर्वाद से युक्त सत्प्रेरणा और कर्मशक्ति ही इस सर्वोत्कृष्ट, सर्वप्रथम रामकथा को आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकी है। मनुष्य की भक्ति भावना के प्राकट्य में त्रुटियों का होना स्वाभाविक है, यद्यपि प्रयास में शिथिलता नहीं रही है। अतः किसी भी त्रुटि को हनुमान जी महाराज क्षमा करें।

प्रभु चरणों में समर्पित

– सुनील गोम्बर

श्री हनुमान महोत्सव

11 नवम्बर, 2007

अनुक्रम

  • प्रथम अंक – सीता-राम विवाह
  • द्वितीय अंक – विवाह विहार
  • तृतीय अंक – मारीच आगमन
  • चतुर्थ अंक – सीता जी का हरण
  • पंचम अंक – श्रीराम जी का वियोग-विलाप
  • छठा अंक – हनुमानजी की लंका यात्रा
  • सप्तम अंक – श्री रामेश्वर सेतु बन्ध
  • अष्टम् अंक – रावण-अंगद संवाद
  • नवम् अंक – मंत्री परामर्श
  • दशम् अंक – रावण प्रपंच
  • एकादश अंक – कुंभकर्ण वध
  • द्वादश अंक – मेघनाथ वध
  • त्रयोदश अंक – लक्ष्मण शक्ति वेध
  • चतुर्दश अंक – श्री राम विजय

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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