Kale Ujale Din

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Kale Ujale Din

Kale Ujale Din

199.00 149.00

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199.00 149.00

Author: Amarkant

Availability: 5 in stock

Pages: 162

Year: 2014

Binding: Paperback

ISBN: 9788119159819

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

काले उजले दिन
वस्तुतः हमारा आज का जीवन कई खंडों में बिखरा हुआ-सा नजर आता है। सामाजिक ढाँचे में असंगतियाँ और विषमताएँ हैं, जिनकी काली छाया समाज के प्रत्येक सदस्य के व्यक्तिगत जीवन पर पड़े बिना नहीं रहती। इसीलिए एक बेपनाह उद्देश्यहीनता और निराशा आज हरेक पर छायी हुई है। स्वस्थ, स्वाभाविक और सच्चे जीवन की कल्पना भी मानो आज दुरूह हो उठी है।  इस कथानक के सभी पात्र ऐसे ही अभिशापों से ग्रस्त हैं। मूल नायक तो बचपन से ही अपने सही रास्ते से भटककर गलत रास्तों पर चला जाता है। उसके माता-पिता और परिजन भी तो भटके हुए थे। लेकिन वह अपने भटकाव में ही अपनी मंजिल को पा लेता है।

क्या इस तरह इस कथानक का सुखद अन्त होता है नहीं। आँसू का अन्तिम कतरा तो सूखता ही नहीं। संयोग और दुर्घटना का सुखांत कैसा मानव जीवन कोई दुर्घटनाओं और संयोगों की समष्टि मात्र नहीं है। जब तक सारी सामाजिक व्यवस्था बदल नहीं जाती जब तक हमारा जीवन दर्शन आमूल बदल नहीं जाता, तब तक ऐसी दुर्घटनाएँ होती रहेंगी-चाहे उनका परिणाम दुःखद हो या सुखद। आज की समाज-व्यवस्था के परिवर्तन के साथ नारी की स्वतंत्रता का प्रश्न भी जुड़ा हुआ है। क्रान्ति का त्यागमय जीवन उसके जीवन-काल में क्या मर्यादा पा सका उसके आदर्श को क्या उचित मूल्य मिला ? रजनी का त्याग भी क्या सम्मान पा सका ? उसकी सहानुभूति, ममता और प्रेम-भावना क्या आँसू से भीगी नहीं हैं क्या उसके जीवन का सुख किसी और के दुःख पर आश्रित नहीं है इन्हीं सब प्रश्नों की गुत्थियाँ अमरकान्त का यह उपन्यास खोलता है।

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Paperback

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Publishing Year

2014

Pulisher

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Hindi

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