Kufra

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Author: Tahamina Durrani

Availability: 5 in stock

Pages: 224

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789352291427

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

कुफ्र

1991 में अपनी विवादास्पद आत्मकथा ‘माई फ्यूडल लार्ड’ लिखकर तहमीना दुर्रानी ने साहित्य जगत में हलचल मचा दी थी। इस पुस्तक का 22 भाषाओं में अनुवाद हुआ और इसे इटली का प्रतिष्ठित मारिसा बेलासासेरियो परस्कार भी मिला। ‘ब्लासफेमी’ उनकी दूसरी महत्वपूर्ण साहित्यिक रचना है। इस उपन्यास में भी पाठक को झिंझोड़ देने की वही क्षमता है, जो उनकी पहली कृति में है। यह उपन्यास दक्षिणी पाकिस्तान में स्थित एक दरगाह के पीरों के कारनामों की परतें उधेड़ने वाली सच्ची कथा पर आधारित है, जो इस्लाम के नाम पर आम आदमी का, मासूमों का शोषण करते हैं। कथा के केंद्र में है खूबसूरत हीर. पीर साई की पत्नी हीर। आत्मकथात्मक शैली में वह जो कुछ बताती है, उससे मजहब की आड़ में सड़ी-गली। परम्पराओं और पीरों के हैवानी कारनामों का पर्दाफाश होता है। पन्द्रह साल की उम्र में अल्लाह के बंदे पीर साई। की हवेली में ब्याह कर आयी हीर ने उम्र भर जो घोर यातनाएँ भोगी और बर्बरताएँ सहीं वे किसी ख़त्म न होने वाले भयावह स्वप्न से कम नहीं। किंतु यह मात्र स्वप्न नहीं, बल्कि एक सच है, जो हवेली की दीवारें को चीरता हआ हीर के माध्यम से बाहर आता है। दरगाह और हवेली का नरक भोगने वाली हीर अकेली नहीं है, उस गाँव के लोग और हवेली की चारदीवारी में कैदी की सी ज़िन्दगी बिताने वाली औरतें एक दहशत और यातनाओं के साये में जीने को मजबूर हैं। लेकिन होठों पर ताले जड़े हुए हैं, हीर इस ताले को तोड़ने की हिम्मत जुटाती है और आखिर सब कुछ कह डालती है, शोषण और यातनाओं का पर्याय बने पीर, हवेली और दरगाह के खिलाफ़ झंडा उठाती है, जिसके लिए उसे जान की बाजी तक लगानी पड़ती है। अल्लाह के दलाल बने पीर साईं ने हीर को ऐसे नरक में ला पटका जहाँ न उसका सम्मान बचा, न पीकीजगी और न आज़ादी।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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