Pratinidhi Kavitayen : Jaishankar Prasad

-20%

Pratinidhi Kavitayen : Jaishankar Prasad

Pratinidhi Kavitayen : Jaishankar Prasad

99.00 79.00

In stock

99.00 79.00

Author: Jaishankar Prasad

Availability: 5 in stock

Pages: 108

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788126702855

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

प्रतिनिधि कविताएँ : जयशंकर प्रसाद

प्रसाद का कवि-कर्म ‘आन्तर हेतु’ की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि वे मूलत: सूक्ष्म अनुभूतियों के कवि हैं। इनकी अभिव्यक्ति के लिए वे रूप, रस, स्पर्श, शब्द और गंध को पकड़ते हैं—कहीं एक की प्रमुखता है तो कहीं सभी का रासायनिक घोल। …वे अनेक विधियों से संवेगों को आहूत करते हैं। …प्रसाद ने करुणा का आह्वान अनेक स्थलों पर किया है। मूल्य रूप में इसकी महत्ता को आज भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता। बल्कि आज तो इसकी आवश्यकता और बढ़ गई है। …’ले चल मुझे भुलावा देकर’ में पलायन का मूड है तो ‘अपलक जागती हो एक रात’ में रहस्य का। किन्तु इन क्षणों को प्रसाद की मूल चेतना नहीं कहा जा सकता। वे समग्रत: जागरण के कवि हैं और उनकी प्रतिनिधि कविता है—’बीती विभावरी जाग री।’

इस संग्रह में प्रसाद की उपरिवर्णित कविताओं के साथ ‘लहर’ से कुछ और कविताएँ, तथा इसके अलावा ‘राज्यश्री’, ‘अजातशत्रु’, ‘स्कन्दगुप्त’, ‘चन्द्रगुप्त’ व ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटकों में प्रयुक्त कविताओं को भी संकलित किया गया है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Pratinidhi Kavitayen : Jaishankar Prasad”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!