Rahul (Khand Kavya)

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Rahul (Khand Kavya)

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250.00 200.00

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250.00 200.00

Author: Jaiprakash Kardam

Availability: 10 in stock

Pages: 120

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388260732

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

राहुल (खण्डकाव्य)

बौद्ध साहित्य में ‘राहुल’ के जीवन पर बहुत ही कम सामग्री उपलब्ध है। इसी उपेक्षित पात्र की त्रासदी को जयप्रकाश कर्दम ने ‘खण्ड काव्य’ के माध्यम से, रिक्त स्थान को भरने का एक स्तुत्य कर्म किया है। ‘राहुल’ (खण्ड काव्य) के कथानक को पाँच सर्ग में विभक्त किया गया है।

सर्ग एक में ‘राहुल के जन्म’ को केन्द्र में रखकर खुशी और उल्लास का वतावरण बहुत ही खूबसूरती से निर्मित किया गया है। राहुल के जन्म पर हर किसी के मन में नवजात शिशु के लिए जहाँ एक ओर वात्सल्य और आशीष के भाव उमड़ रहे हैं, वहीं पिता सिद्धार्थ का अंतर्द्वन्द्र भी जयप्रकाश कर्दम ने कुशलता से उकेरा है। इसी सर्ग में सिद्धार्थ और यशोधरा के बीच तर्क-वितर्क भी प्रभावोत्पादकता पैदा करते हुए, उल्लेखनीय बन गया, जो सिद्धार्थ और यशोधरा के मनोभाव का सहज और स्वाभाविक चित्रण है।

सर्ग दो में सिद्धार्थ का अभिनिष्क्रमण प्रस्तुत किया गया है। तीसरे सर्ग में ‘धम्म चक्र’ प्रवर्तन, चौथे सर्ग में राहुल और सिद्धार्थ के मिलन की ऐतिहासिक घटना को वर्णित किया है। इस घटना पर आधार-सामग्री का नितांत अभाव है। लेकिन पूरे सर्ग को जयप्रकाश कर्दम ने जिस तरह मानवीय संवेगों के साथ चित्रित किया है, काव्यात्मक अभिव्यक्ति, संवादात्मकता के साथ शब्द-बद्ध किया गया है। यशोधरा और राहुल के बीच के संवाद गहरे भावबोध, आत्मीयता, ममता के साथ सामने आते हैं।

पिता-पुत्र के प्रथम मिलन का दृश्य भी विशिष्टता के साथ अभिव्यक्त हुआ है। राहुल में मन में पिता को लेकर अनेक प्रश्न हैं, शंकायें हैं, बुद्ध द्वारा दिए गए जिनके उत्तरों को सहज और स्वाभाविकता से बिना अतिरंजना और दार्शनिकता की धीर-गंभीर शब्दावली को बीच में लाये, जयप्रकाश कर्दम ने सफलता के साथ, सशक्त ढंग से रखा है।

बुद्ध-दर्शन की यह विशिष्टता है जो तर्क और प्रश्नों की राह प्रशस्त करती है। राहुल के समक्ष भी बुद्ध ने वही स्थिति निर्मित की, जो भी मन में है उसे बाहर आने दो। तभी मन निर्मल होगा।

पांचवे सर्ग में बुद्ध का वापस भिक्षु संघ के साथ प्रस्थान करना और राहुल को साथ लेकर जाना, इन घटनाओं को काव्यात्मक रूप में सशक्त एवं प्रभावशली ढंग से प्रस्तुत करने में जयप्रकाश कर्दम को सफलता मिली है।

इस खण्डकाव्य की भाषा सहज, सरल, प्रवाहमयी है। साथ ही विषय को सफलता से प्रस्तुत करने में सफल हे। बौद्ध साहित्य की यह एक महत्वपूर्ण कृति सिद्ध होगी, यह उम्मीद की जा सकती है। जयप्रकाश कर्दम बधाई के पात्र हैं, जो ऐसे विषय को अपनी अभिव्यक्ति के केन्द्र में लाये।

– ओमप्रकाश वाल्मीकि

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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