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Ram Prasad Bismil Ko Phansi V Mahavir Singh Ka Balidan
₹195.00 ₹160.00
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Author: Malvender Jit Singh Waraich
Pages: 287
Year: 2013
Binding: Paperback
ISBN: 9788126724024
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
राम प्रसाद बिस्मिल को फाँसी व महावीर सिंह का बलिदान
शताब्दियों की पराधीनता के बाद भारत के क्षितिज पर स्वतंत्रता का जो सूर्य चमका, वह अप्रतिम था। इस सूर्य की लालिमा में उन असंख्य देशभक्तों का लहूभी शामिल था, जिन्होंने अपना सर्वस्व क्रान्ति की बलिवेदी पर न्योछावर कर दिया। इन देशभक्तों में रामप्रसाद बिस्मिल का नाम अग्रगण्य है। संगठनकर्ता, शायर और क्रान्तिकारी के रूप में बिस्मिल का योगदान अतुलनीय है। ‘काकोरी केस’ में बिस्मिल को दोषी पाकर फिरंगियों ने उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया था।
इस प्रकरण का दस्तावेजी विवरण प्रस्तुत पुस्तक को खास बनाता है। शहीद महावीर सिंह साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति थे। तत्कालीन अनेक क्रान्तिकारियों से उनके हार्दिक सम्बन्ध थे। इनका बलिदान ऐसी गाथा है, जिसे कोई भी देशभक्त नागरिक गर्व से बार-बार पढ़ना चाहेगा। पुस्तक पढ़ते समय रामप्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ मन में गूँजती रहती हैं। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़घए क़ातिल में है। एक संग्रहणीय पुस्तक।
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Publishing Year | 2013 |
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मलवेन्दर जीत सिंह वढ़ैच
जन्म : 1929, गाँव लाधेवाला वढ़ैच, जिला गुजराँवाला।
शिक्षा : अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थ शास्त्र और समाज शास्त्र में एम.ए.।
30 साल गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना में पढ़ाने के उपरान्त नवम्बर, 1989 में सेवानिवृत्त। फिर एल.एल.बी. करके 1992 में माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और वहाँ जनहित पिटिशनों (क्कढ्ढरुह्य) द्वारा ‘कूका विद्रोह’, ‘गदर लहर’, ‘कौमागाटा मारू’ और ‘जलियाँवाला बाग’ के शहीदों को कानूनी तौर पर ‘शहीदों’ का दर्जा दिलवाया।
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