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रामविलास शर्मा प्रतिनिधि निबंध
अब कुछ बातें रामविलास जी के आलोचना से इतर लेखन के बारे में। रामविलास जी ने अपने जीवनकाल में एक ही उपन्यास लिखा, हालाँकि उपन्यास लिखने की योजनाएँ वह जीवनपर्यंत बनाते रहे। इस उपन्यास का नाम था ‘चार दिन’। उन दिनों रामविलास जी निराला जी के साथ अथवा आसपास ही रहते थे। इस उपन्यास के उत्कर्ष में नायक खलनायक के साथ कुश्ती लड़ता है। रामविलास जी ने निराला जी से कहा कि कुछ कुश्ती के दाँव–पेंच बता दीजिए ताकि उपन्यास में यथार्थ का पुट आ जाए। निराला जी पहले तो रामविलास जी को दाँव–पेंच सिखाने लगे, लेकिन रामविलास जी सोचा कि पक्के फर्श पर धोबी पछाड़ सीखने से बेहतर होगा यदि उस कुश्ती का दृश्य निराला जी ही बोलकर लिखा दें। ऐसा ही किया भी गया। निराला जी के कहने से ही उन्होंने यह उपन्यास चाँद प्रेस में छपने के लिए भेजा। उसकी रायल्टी को लेकर क्या हुआ, यह रामविलास जी ने 1955 में एक टिप्पणी द्वारा बताया ह । इस संचयन का आरंभ इसी ‘श्री गणेश’ नामक नोट से शुरू किया गया है।
– विजय मोहन शर्मा
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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