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Sirf Yahi Thi Meri Ummeed
₹695.00 ₹520.00
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Author: Mangalesh Dabral
Pages: 304
Year: 2021
Binding: Hardbound
ISBN: 9789355181237
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
सिर्फ़ यही थी मेरी उम्मीद
कविता और गद्य के अन्तर को मंगलेश ने कुछ ऐसे समझने की चेष्टा की है, “…शायद वह कोई संवेदना है, कोई मानवीय आवेग और सघनता और गहराई और विचलित करने वाली कोई वैचारिक भावना, जो किसी अभिव्यक्ति को कविता बना देती है। इसी वजह से कई बार बेहद नीरस-शुष्क गद्य भी बड़ी कविता में तब्दील हुआ है। एक कवि की उक्ति को कुछ बदल कर कहें तो भाषा के तमाम शब्द जैसे किसी बारिश में भीगते हुए खड़े रहते हैं और कुछ शब्द होते हैं जिन पर बिजली गिरती है और वे कविता बन जाते हैं। शायद बिजली से वंचित शब्द गद्य ही बने रहेंगे।” इसी रूपक को थोड़ा बढ़ायें तो कह सकते हैं कि मंगलेश का गद्य ‘शायद बिजली से वंचित’ नहीं, बल्कि बिजली गिरने के ठीक पड़ोस का गद्य है जिसमें असाधारण स्पन्दन और द्युति है।
– अशोक वाजपेयी
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2021 |
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मंगलेश डबराल
मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड में टिहरी ज़िले के गांव काफलपानी में हुआ। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लंबे समय तक काम करने के बाद वे तीन वर्ष तक नेशनल बुक ट्रस्ट के सलाहकार रहे। उनके पांच कविता संग्रह ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज़ भी एक जगह है’, ‘नये युग में शत्रु’; तीन गद्य संग्रह ‘एक बार आयोवा’, ‘लेखक की रोटी’, ‘कवि का अकेलापन’ और साक्षात्कारों का एक संकलन प्रकाशित हैं।
उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, जि़्बग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊष रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि की कविताओं का अंग्रेज़ी से अनुवाद किया है।
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