Vipashyana Mein Prem

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Vipashyana Mein Prem

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Author: Dayanand Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 106

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789357750219

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

विपश्यना में प्रेम

उपन्यास में कथावस्तु के साथ दो महत्वपूर्ण अवयवों की परख की जाती है वह है भाषा और शैली किसी कहानी। को उपन्यास का रूप देने में यदि विस्तार की भाषा है तो यह सरस नहीं बनी रहती। लेकिन यदि यह भाषा में विस्तृत होता हुआ है और दिलचस्पी सिर्फ कथा-मोड़ के कारण ही नहीं बल्कि शैली यानी शिल्पगत वैशिष्ट्य के कारण भी है तो दिलचस्पी पूरा पढ़ लेने के बाद भी बनी रहती है उत्सुकता का उत्साह भी भाषा के स्तर पर वाग्जाल नहीं है।

कथा के विस्तार में अन्योक्ति नहीं है, और शैली के स्तर पर सामासिक अभिव्यक्ति है, आलंकारिक सौंदर्य की शाब्दिक उपमाएं हैं। देखिए : साधना और साधन में इतना संघर्ष क्या हमारे सारे जीवन ही उथल पुथल नहीं मचाए है ? इस शोर का कोई कुछ नहीं कर सकता था। वह भी नहीं। यह कौन सा शोर है ? शोर है कि विलाप ? कि शोर और विलाप के बीच का कुछ ? विपश्यना तो नहीं ही है तो फिर क्या है ? विराट दुनिया है स्त्री की देह। स्त्री का मन उसकी देह से भी विराट। चंदन है तो वह महकेगा ही वह महक उठता है। बाहर हल्की धूप है, मन में ढेर सारी ठंड। नींद में ध्यान। विपश्यना में वासना का कौन सा संगीत है यह ?

गौतम चटर्जी

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2023

Pulisher

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