- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
यशपाल के पत्र
प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी के उपन्यासकार यशपाल द्वारा मधुरेश को लिखे गए पत्र संकलित हैं, इन पत्रों का लेखनकाल बीस वर्षों के समय को समेटता है। इन पत्रों से पहली बार जहाँ यशपाल को रचनाओं की वास्तविक पृष्ठभूमि और उनके मूल स्रोतों पर प्रकाश पड़ता है, वहीं हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में उनसे सम्बन्धित बहुत से विवादों को भी जानने-समझने में मदद मिलती है। केवल सन्दर्भों की ओर संकेत करने मात्र से ही, ये पत्र प्रकारान्तर से हिन्दी की आरम्भिक मार्क्सवादी समीक्षा की स्थिति और सीमाओं की ओर भी संकेत कर सकने में सफल हुए हैं। निश्चय ही इन पत्रों से यशपाल सम्बन्धी मूल्यांकन को नई दिशा मिलेगी। पुस्तक में इन पत्रों के अलावा यशपाल पर एक लम्बा आत्मीय संस्मरण भी है जिसमें उनकी रचना प्रक्रिया का विश्लेषण तो है ही, उस घरेलू और पारिवारिक सेटिंग के बीच यशपाल को देखने-समझने की कोशिश भी हुई है जो किसी लेखक की रचनाओं की जरूरी पृष्ठभूमि भी होती है और प्रेरणास्रोत भी।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2003 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.