Aakash Paataal

-6%

Aakash Paataal

Aakash Paataal

90.00 85.00

In stock

90.00 85.00

Author: Gurudutt

Availability: 3 in stock

Pages: 159

Year: 1996

Binding: Hardbound

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

आकाश पाताल

प्रथम परिच्छेद

‘‘तो आप हैं रजनीकांत ?’’ मथुरा रोड पर स्कूटरों के एक कारखाने के कार्यालय में, जनरल मैनेजर के कमरे में बैठे एक प्रौढ़ावस्था के व्यक्ति ने सामने खडे युवक से पूछा।

सामने खड़ा युवक फटे-पुराने, पैबन्द-लगे तथा धूल से लथपथ वस्त्र पहने था। सूती कोट, पतलून और एक मैले-से कॉलर में बेरंग हुई नैक्टाई, यह उसकी पोशाक थी। उसका जूता भी मैला था। ऐसा प्रतीत होता था कि उस पर पॉलिश हुए सप्ताह से ऊपर हो चुका है। वह सिर से नंगा था। देखने में सुदृढ़, आँखों में स्थिरता एवं चेहरे पर ओज था। फिर भी मुख पीला पड़ रहा था और कनपटी के पास एक-आध बाल सफेद-सा प्रतीत होता था।

जनरल मैनेजर प्रश्न पूछते हुए, ध्यान से उसकी ओर देख रहा था। जब उसने पूछा, ‘‘तो आप हैं रजनीकांत ?’’ तब सामने खड़े युवक ने कुछ झेंप में आँखें नीची किए कहा, ‘‘जी। मैं….।’’ आगे वह कुछ नहीं कह सका। गला सूख जाने से उसकी आवाज़ नहीं निकल सकी।

‘‘तुम क्लर्क का काम करने के लिए प्रत्याशी हो ?’’ मैनेजर ने पुनः पूछा।

पुनः यत्न कर युवक ने कहा, ‘‘जी…।’’

‘‘तुम विज्ञापन पढ़कर आए हो ?’’

‘‘जी, स्टेट्समैन में। मैं….।’’ वह पुनः कहता-कहता चुप हो गया।

‘‘तो उसमें पढ़ा नहीं कि मुलाकात का समय दस बजे था ?’’

युवक ने उत्तर नहीं दिया। कुछ कहने को उसके होंठ खुले, परन्तु आवाज़ नहीं निकली।

‘‘रजनीकान्त…।’’ जनरल मैनेजर कुछ और कहने को था कि उसने देखा युवक चक्कर खाकर गिरने वाला है। युवक ने मैनेजर साहब की मेज़ का आश्रय ले अपने को गिरने से बचाया। थूक गले के नीचे उतारकर गला साफ कर उसने पुनः कहने यत्न करना चाहा, परन्तु वह भर्रायी आवाज़ में ‘मैं’ कहकर ही रुक गया। उसके गले से आवाज़ नहीं निकल सकी। जनरल मैनेजर ने यह देखा तो मेज़ पर लगी घण्टी का बटन दबाया। कमरे के बाहर घण्टी बजी और द्वार पर बैठा चपरासी भीतर आ गया। मैनेजर ने कहा, ‘‘इन बाबू साहब के लिए एक कुर्सी सामने रख दो।’’

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

1996

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aakash Paataal”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!