Aayog

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695.00 500.00

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695.00 500.00

Author: Narendra Kohli

Availability: 5 in stock

Pages: 260

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9788181432964

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

आयोग

मैं निरन्तर हिन्दी में बोल रहा था और रामलुभाया था कि मेरे प्रश्नों के उत्तर अंग्रेजी में दिए जा रहा था। मैं जानता था कि हम भारत की संसद में नहीं बैठे थे, जहाँ संविधान के अनुसार नियमतः प्रश्न का उत्तर उसी भाषा में दिया जाना चाहिए, जिसमें प्रश्न पूछा गया हो। हम अपने घर में बैठे थे, फिर भी कोई कारण नहीं था कि हम अंग्रेजी बोलते।… रामलुभाया की ज्यादती कुछ देर तो चलती रही। किन्तु जब मैं सहन नहीं कर पाया तो बोला, “क्या बात है रामलुभाया ! तुम मेरे प्रश्नों के उत्तर एक विदेशी भाषा में दिए जा रहे हो, जबकि हम दोनों ही भारतीय हैं।” रामलुभाया को मेरी बात पसन्द नहीं आयी। जाने क्या बात है कि भारत के इस अंग्रेजीभाषी वर्ग को जब भी याद दिलाया जाता है कि वे भारतीय हैं, उन्हें अच्छा नहीं लगता।

मैं यह जानता था कि यदि मैं अधिक दबाव डालूँगा तो वह कह देगा कि उसे हिन्दी नहीं आती। जो लोग यह कहते हैं कि उन्हें हिन्दी नहीं आती, वे यह मानते हैं कि हिन्दी न जानना दोष नहीं है, इसीलिए उन्हें हिन्दी सीखने का प्रयत्न करने की आवश्यकता नहीं है; किन्तु यदि मुझे अंग्रेजी नहीं आती, तो वह मेरा दोष है, मुझे अंग्रेजी जानने का प्रयत्न करना चाहिए। रामलुभाया कुछ देर मेरी ओर देखता रहा फिर बोला, “मेरे लिए हिन्दी भी एक विदेशी भाषा है।” मैं स्तब्ध रह गया। यह व्यक्ति इस देश की राष्ट्रभाषा को एक विदेशी भाषा कह रहा था। इसका क्या है, यह तो कल दिल्ली को भी विदेश कह देगा, कश्मीर का तो कहना ही क्या।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

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