- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
आवारा तिश्नगी
प्रस्तुत संकलन में कवि की 105 ग़ज़लें संग्रहीत हैं। इन ग़ज़लों का मुख्य स्वर इन्सान का इन्सान से रिश्ता है। कवि ग़रीबों, मज़दूरों और मेहनतकशों के हक़ में आवाज़ उठाता है। कवि के लिए सभी इन्सान मात्र इन्सान हैं चाहे वे किसी भी जाति-धर्म से ताअल्लुक़ रखते हों। ईश्वर ने तो सभी को एक ही तरीक़े से रचा है। किसी भी इन्सान की जन्म लेने की प्रक्रिया वही है जो कि प्राणिमात्र की है। इसलिए सब जीवधारी कवि के लिए ईश्वर की कृपा के पात्र हैं और इसीलिए मानवेतर प्राणियों पशु-पक्षियों से भी प्यार का व्यवहार करना कवि की आदत में शुमार है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.