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Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Punjabi Bhasha
₹295.00 ₹260.00
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Author: Dr. Harmahinder Singh Bedi
Pages: 110
Year: 2017
Binding: Hardbound
ISBN: 9789387409446
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
भारतीय भाषाओं में रामकथा – पंजाबी
पंजाब में पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक प्रचुर मात्रा में हिन्दी साहित्य रचा गया। मध्यकाल में यहाँ पर अधिकतर ब्रज भाषा और गुरुमुखी लिपि में साहित्य रचा गया, असंख्य काव्य-ग्रन्थ अनूदित और लिप्यन्तरित हुए। पंजाब प्रान्तीय गुरुमुखी लिपि में उपलब्ध हिन्दी भक्ति साहित्य के अन्तर्गत रामकाव्य की एक लम्बी परम्परा मिलती है। वास्तव में रामचरित का यशोगान करने का मूल उद्देश्य आदर्श जीवन के सर्वांग का प्रदर्शन एवं जनता में नीति-विवेक, सही जीवन-मूल्यों तथा स्वस्थ परम्पराओं का प्रचार-प्रसार करने की धारणा रही है। पंजाब अथवा पंजाबेतर कवियों ने जब-जब भी राम के चरित्र को काव्य-विषय बनाया, उनकी दृष्टि भगवान की लोकमंगलकारी रक्षक शक्तियों की ओर ही रही। गुरुमुखी लिपि में रामकाव्य की समृद्ध एवं सम्पुष्ट परम्परा मिलती है।
आदि ग्रन्थ में राम के निर्गुण स्वरूप का चित्रण तो है ही, साथ ही राम-नाम की महिमा का गायन भी है। तदनन्तर राम के अवतारी रूप, राम के योद्धा रूप, राम के दुष्ट-संहारक, सन्त-उद्धारक एवं लोकरंजक रूप का वर्णन एवं चित्राण पंजाब के कवियों की काव्य-शोभा है। गुरु गोबिन्द सिंह तो रामकथा का सूत्र लेकर राम के योद्ध रूप तक पहुँचने में अधिक व्यग्र दिखते हैं। राम के भव्य स्वरूप के माध्यम से पंजाब के कवियों ने जनमानस को समग्रतः प्रेरित एवं प्रभावित किया।
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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