Ganesh Geeta, Hans Geeta, Bhikshu Geeta

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Ganesh Geeta, Hans Geeta, Bhikshu Geeta

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300.00 299.00

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Author: Nandlal Dashora

Availability: 5 in stock

Pages: 200

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Randhir Prakashan

Description

गाणपत्य सम्प्रदाय की प्रसिद्ध पोथी

‘गणेश गीता’ में मूल रूप से सब विघ्नों के नाशक गणेश जी द्वारा राजा वरेण्य को दिये गये बह्मविद्या रूपी उपदेश का वर्णन है। जिसे व्यासजी द्वारा अनादि सिद्धयोग कहा गया है । इसे सुनकर राजा वरेण्य को मुक्ति पद प्राप्त हो गया था। इसी परमज्ञान को व्यासजी ने सूतजी को सुनाया। फिर इसे ऋषि शौनक तथा शुकदेव जी ने प्राप्त किया। सूत-शौनक सम्वाद में गणेश गीता का अमृत ज्ञान ही इस पुस्तक में अर्थ सहित प्रकाशित किया गया है।

‘हंस गीता’ श्रीमद्भागवत महापुराण के एकादश स्कन्द में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा श्री उद्धव जी को भक्ति-मुक्ति का उपदेश देते हुए कही गई थी। इसमें भगवान के हंस अवतार द्वारा ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों सनकादिक ऋषियों की यौगिक पराकाष्ठा अर्थात्‌ परमार्थ तत्व सम्बन्धी जिज्ञासा का समाधान किया गया है। चित्त को विषयों से किस प्रकार पृथक करें, इस प्रश्न का गूढ़ तात्विक विवेचन इसमें वर्णित किया गया है।

‘भिक्षुगीता’ भी श्रीमद्भागवत महापुराण के एकादश स्कन्द से ही संकलित की गई है। इसमें भगवान कृष्ण अपने प्रिय सखा उद्धव जी को एक भिक्षु के दृष्टांत के माध्यम से मन पर विजय प्राप्त करने का उपाय समझाते हैं। यह भिक्षु गीता इस पुस्तक में सरल हिन्दी अनुवाद के साथ प्रस्तुत की गई है।

अद्वैतशास्त्र

गणेश गीता

हंस गीता (तत्वदर्शन) मिक्षुगीता (ब्रह्मज्ञान)

‘गणेश गीता’ में मूल रूप से सब विघ्नों के नाशक गणेश जी द्वारा राजा वरेण्य को दिये गये ब्रह्मविद्या रूपी उपदेश का वर्णन है जिसे व्यासजी द्वारा अनादि सिद्धयोग कहा गया है। इसे सुनकर राजा वरेण्य को मुक्ति पद प्राप्त हो गया था। इसी परमज्ञान को व्यासजी ने सूतजी को सुनाया। फिर इसे ऋषि शौनक तथा शुकदेव जी ने प्राप्त किया। सूत-शौनक सम्वाद में गणेश गीता का उपक्रम ही यहाँ अर्थ सहित प्रकाशित किया गया है।

‘हंस गीता’ श्रीमद्भागवत महापुराण के एकादश स्कन्द में भगवान्‌ श्रीकृष्ण द्वारा श्री उद्धव जी को भक्ति-मुक्ति का उपदेश देते हुए कही गई थी। इसमें भगवान्‌ के हंस अवतार द्वारा ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों सनकादिक ऋषियों की यौगिक पराकाष्ठा अर्थात्‌ परमार्थ तत्व सम्बन्धी जिज्ञासा का समाधान किया गया है। चित्त को विषयों से किस प्रकार पृथक करें, इस प्रश्न का गूढ़ तात्विक विवेचन इसमें वर्णित किया गया है।

‘भिक्षुगीता’ भी श्रीमद्भागवत महापुराण के एकादश स्कन्द से ही संकलित की गई है। इसमें भगवान्‌ कृष्ण अपने प्रिय सखा उद्धव जी को एक भिक्षु के दृष्टांत के माध्यम से मन पर विजय प्राप्त करने का उपाय समझाते हैं। यह भिक्षु गीता यहाँ सरल हिन्दी अनुवाद के साथ प्रस्तुत की गई है।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

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