Hindi Kahani Sangrah

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Hindi Kahani Sangrah

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Author: Bhishm Sahni

Availability: 5 in stock

Pages: 384

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788172016579

Language: Hindi

Publisher: Sahitya Academy

Description

हिन्दी कहानी संग्रह

हम यह तो नहीं कह सकते कि सन् सैंतालीस के बाद हिन्दी कहानी ने नया रुख़ अपनाया। साहित्य में ऐसी रेखाएँ तो खींची नहीं जा सकतीं, लेकिन इतना ज़रूर कह सकते हैं कि जहाँ पहले की प्रवृत्तियों का आग्रह धीरे-धीरे शिथिल पड़ता गया, वहाँ नयी-नयी प्रवृत्तियाँ सामने आने लगीं और धीरे-धीरे कहानी अपनी विकास-प्रक्रिया में नयी ज़मीन तोड़ने लगी और उसके साथ नये-नये आयाम जुड़ने लगे।

हिन्दी कहानी ने अपनी विकास-यात्रा में अनेक पड़ाव लाँघे हैं। एक ओर वह भारतीय साहित्य की मानवतावादी परम्परा से जुड़ी रही है, तो दूसरी ओर वह आज के जीवन से साक्षात् करती हुई आधुनिक भावबोध को आत्मसात करती रही है। सबसे बड़ी बात है कि वह जीवन से गहरे जुड़ती चली गयी है। भले ही कथा की दृष्टि से इसमें अधिक विस्तार न आया हो, पर इसमें निश्चय ही अधिक गहनता आयी है। हिन्दी लेखन की यह अभी भी सबसे अधिक लोकप्रिय विधा है, शायद इसीलिए भिन्न-भिन्न कोणों से, विभिन्न प्रवृत्तियों से प्रभावित लेखकों ने इस विधा को अपनाया है। भले ही यह कभी एक ओर तो कभी दूसरी ओर झुकती रही है अपना संतुलन खोती रही है, पर इन सबके रहते इसने जिन्दगी का दामन नहीं छोड़ा। इसी कारण आज भी इसकी सजीवता और प्रभाव बने हुए हैं और निश्चय ही भविष्य में भी इसके हाथों हमारे देश का साहित्य समृद्ध होता रहेगा।

प्रस्तुत संग्रह में स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथाकारों की प्रतिनिधि कहानियों का चयन एवं संपादन किया है प्रतिष्ठित कथाकार श्री भीष्म साहनी ने।

 

भूमिका

साहित्य अकादेमी का अनुरोध मैंने बड़े उत्साह से स्वीकार किया था, कहानी-विधा में अपनी दिलचस्पी के कारण। मुझे लगता था जैसे अपनी पीढ़ी और बाद की पीढ़ी के लेखकों और उनकी रचनाओं से मेरा रोज-मर्रा का संबंध रहा है- इस विचार से भी कहानी के क्षेत्र में जो तरह-तरह के ‘आंदोलन’ उठते रहे हैं उनके बीच से भी मुझे गुज़र पाने का मौका मिला है। इसलिए यह काम मेरे लिए रुचि-कर भी होगा और आसान भी। कुल दो दर्जन कहानियाँ ही तो जुटाना है। तीस-पैंतीस वर्ष के अपने पठन-पाठन के आधार पर क्या मैं पच्चीस कहानियाँ भी नहीं जुटा पाऊँगा ?

पर काम इतना आसान साबित नहीं हुआ जितना मैं समझ बैठा था। ज्यों ही काम हाथ में लिया, पेचीदगियाँ बढ़ने लगीं।

सवाल उठा : सबसे पहले लेखकों की तालिका बनाऊँ या उत्कृष्ट कहानियों की ? जब मैं लेखकों की तालिका बनाने लगा तो तालिका लंबी खिंचती चली गयी। पचीस कहाँ, वहाँ तो पचास नाम शामिल हो गये- इस आधार पर नहीं कि अमुक मेरा मित्र है, उसकी कहानी तो होनी ही चाहिए, या अमुक से मेरे विचार मेल खाते हैं, या अमुक मेरा विरोधी है, कहानी नहीं रखी तो मुझ पर तरह-तरह के आरोप लगायेगा, या अमुक, पाठकों की नजर में भले ही स्थापित नहीं हो पाया हो, अपनी नजर में तो कब का स्थापित हो चुका है आदि आदि। इस प्रकार के कारणों से नहीं, बल्कि सूची इसलिए लम्बी हो गयी कि पिछले पैंतीस वर्षों में निश्चय ही कहानी-लेखन के क्षेत्र में बड़ा महत्वपूर्ण काम हुआ है और हो रहा है। पहले की तुलना में कहीं ज्यादा लेखक इस विधा के साथ गम्भीरता से जुड़े हुए हैं, और हमारे कहानी-साहित्य को समृद्ध बना रहे हैं।

अब क्या हो ? मैं किसका नाम काटूं और किसका रखूँ ?

मैंने सोचा, लेखकों की तालिका की जगह उत्कृष्ट रचनाओं की तालिका बनाना बेहतर होगा। इनमें से सर्वोत्कृष्ट पचीस कहानियाँ चुनना भी ज्यादा आसान होगा। पर फौरन सवाल उठा : क्या मुझे केवल बेजोड़ कहानियाँ चुनने को कहा गया है, या ऐसी कहानियाँ जो अपने काल का प्रतिनिधित्व भी करती हों ? उत्कृष्ट कलाकृति हुए बिना भी कोई कहानी महत्वपूर्ण हो सकती है, कहानी के विकास की दिशा में एक नया मोड़ साबित हो सकती है, नयी दृष्टि देने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है, नयी ज़मीन तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकती है जिससे नये स्वर सुनायी पड़े, जो कहानी के क्षेत्र में किसी नये आयाम के जुड़ने का भास दे, जो कहानी बने-बनाये चौखटे को लाँघने का भास दे, जहाँ लेखक का संवेदन अपने परिवेश की किसी ध्वनि को पकड़ पाने की चेष्टा कर रहा हो।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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