Ramayandarshanam

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Ramayandarshanam

Ramayandarshanam

3,000.00 2,700.00

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3,000.00 2,700.00

Author: Dr. Rajesh Srivastava

Availability: 5 in stock

Pages: 266

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789357759274

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

रामायणदर्शनम्

यह पुस्तक अद्भुत है।

विविध भारतीय भाषाओं एवं संस्कृत वांग्मय में रचित प्रमुख रामायण ग्रन्थों का एक साथ दर्शन ! जिन लुप्त रामायणों की चर्चा लेखक ने की है, उन्हें खोजने और सहेजने का कार्य प्रयासपूर्वक किया जाना चाहिए। गाँव-गाँव में जो रामलीला खेली जाती हैं उन्हें रचने वाले राधेश्याम जी की रामायण का विवेचन और परिचय तो रोमांचित कर देता है। भुशुण्डि रामायण, चम्पू रामायण जैसे दुर्लभ ग्रन्थों का परिचय और विवेचना इस ग्रन्थ की अन्यतम उपलब्धि है।

रामायणदर्शनम् पुस्तक के लेखक डॉ. राजेश श्रीवास्तव मांडू में जब चतुर्भुज राम जी के दर्शन करने आये तो उनकी आँखों की विशेष चमक मैंने देखी है। यही दृष्टि उन्हें इस तरह के अभिनव पक्षों पर कार्य करने की सप्रेरणा देती है। उनके द्वारा पूर्वरचित रामायण ग्रन्थों का भी मैंने अध्ययन किया है। रामअयन और रक्षायन। दोनों ग्रन्थों को इस तीसरे ग्रन्थ से मिलाया जाये तो एक सम्पूर्णता का भाव जाग्रत होता है तथापि इस तरह की बहुत-सी पुस्तकों के प्रकाशन की उनसे अपेक्षा है।

डॉ. राजेश श्रीवास्तव का अद्भुत सराहनीय प्रयास समाज और युवाओं के जीवन में आदर्श स्थापित करने का कार्य करेगा साथ ही रामकथा के जिज्ञासुओं विशेषकर शोधार्थियों को भी प्रेरित करेगा। प्रभु श्रीराम उन पर अपनी कृपा बनाये रहें। हृदय से साधुवाद ।

जय श्री सीताराम !

-महामण्डलेश्वर डॉ. नृसिंहदास, चतुर्भुज श्रीराम मन्दिर, मांडव (ज़िला धार)

܀܀܀

आश्वस्ति-

कविता, कथा और समीक्षा में सक्रिय डॉ. राजेश श्रीवास्तव के अनुसंधित्सु ने एक दशक पूर्व सहसा करवट बदली और आज वह रामकथा के व्यास की जानकारी जुटाने में पूरी शक्ति से संलग्न हैं। इसके लिए उन्होंने 26 देशों की यात्राएँ कीं, अनेक संग्रहालयों के पुस्तकालय को खंगाला। रामायण केन्द्र की स्थापना कर देशभर में फैले रामकथा के विद्वानों से सम्पर्क किया, अनेक लोकप्रिय कथावाचकों की कथा सुनी, जगह-जगह होने वाली रामलीला का मंचन देखा, विश्वविद्यालयों में रामकथा पर हुए शोध का सर्वेक्षण किया और देश-विदेश में अनेक व्याख्यान दिये ।

राम के वनगमन मार्ग के सर्वेक्षण में भी उनकी महती भूमिका रही। उनके संग्रहालय में 300 से भी अधिक रामायण ग्रन्थ हैं। देश-विदेश के रामायणग्रन्थ, विभिन्न भारतीय भाषाओं, जनजातियों, विभिन्न पन्थों और सम्प्रदायों में रचित रामकथाओं का अनूठा भण्डार उनकी शोधदृष्टि एवं सांस्कृतिक सम्पन्नता से अवगत कराता है। यह पुस्तक रामायणदर्शनम् उनकी इसी कर्म-साधना का परिचय है ।

हर्ष का विषय है कि सर्वेक्षण और समीक्षा का यह क्रम अभी भी जारी है!

रामायण केन्द्र के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने इस जटिल और समयसाध्य कार्य को सारस्वत अनुष्ठान के रूप में किया है।

उनका उद्यम आश्वस्त करता है ।

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

-डॉ. देवेन्द्र दीपक

अग्रगण्य समालोचक एवं साहित्यकार पूर्व निदेशक, म.प्र. साहित्य अकादमी, भोपाल

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Pulisher

Publishing Year

2024

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