Sankat Mein Kheti : Aandolan Par Kisan

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Sankat Mein Kheti : Aandolan Par Kisan

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325.00 260.00

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Author: Arun Kumar Tripathi

Availability: 5 in stock

Pages: 240

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789355181374

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

संकट में खेती : आन्दोलन पर किसान

भारत में साल भर तक चले किसान आन्दोलन ने देश और दुनिया को इस बात का अहसास करा दिया कि कृषि संकट गम्भीर है। दुनिया का कॉर्पोरेट जगत जितना धन आर्थिक साक्षरता पर खर्च कर रहा है उतना ही धन उसे खेती को समझने पर खर्च करना चाहिए। यह कहना आसान है कि किसान नयी प्रौद्योगिकी और सुधार को नहीं समझते लेकिन उसी के साथ यह भी सच है कि बड़े शहरों में बैठकर क़ानून और योजनाएँ बनाने वाले देश के गाँवों को नहीं समझते। अगर समझते होते तो इतना बड़ा आन्दोलन न होता। किसानों का ग़ुस्सा इसलिए फूटा क्योंकि बड़ी पूँजी सरकार के साथ मिलकर खेती को अपने ढंग से सुधारना चाह रही थी। उसने उन लोगों से पूछा ही नहीं जिनके हाथ में खेती है और जिन्हें आज़ाद करने का दावा किया जा रहा था। यानी ऐसी आज़ादी दी जा रही थी जिसे वे लोग लेने को तैयार ही नहीं थे जिन्हें वह दी जा रही थी। खेती में सुधार की ज़रूरत है, लेकिन वह सुधार न तो किसानों से ज़मीनें लेकर किया जा सकेगा और न ही भारी मशीनों, महँगे बीजों, उर्वरकों और कीटनाशक वाली हरित क्रान्ति के तर्ज़ पर होना चाहिए। खेती की भारी लागत और उससे होने वाले उत्पादन का उचित मूल्य न मिलने के कारण किसान क़र्ज़दार बनते हैं और आत्महत्या करते हैं। दूसरी ओर तरह-तरह के रसायनों का घोल पीकर धरती बीमार होती जा रही है और वह अपनी कोख में जिस जीवन को धारण करती है वह भी रुग्ण हो रहा है। यही वजह है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा उन राज्यों से फूटा जो हरित क्रान्ति के केन्द्र रहे हैं और जहाँ के किसानों को बहुत आधुनिक माना जाता है।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2022

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