Manav Jeevan Aur Paryavaran

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Manav Jeevan Aur Paryavaran

Manav Jeevan Aur Paryavaran

150.00 149.00

In stock

150.00 149.00

Author: Kanaklata Vishwakarma

Availability: 5 in stock

Pages: 116

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 9788190401470

Language: Hindi

Publisher: Universal Voice

Description

मानव जीवन और पर्यावरण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पर्यावरणीय चेतना जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। यह चेतना समाज के प्रत्येक वर्ग तथा प्रत्येक स्तर के लोगों में उत्पन्न करायी जानी चाहिए। जिससे पर्यावरण में सुधार लाया जा सके एवं सुरक्षित पर्यावरण से जनमानस लाभान्वित हो सके। पर्यावरण में सुधार लाने के लिए यह अपेक्षित है कि पर्यावरण शिक्षा को विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा में उचित स्थान दिया जाये तथा इसके लिए अनौपचारिक एवं दूरस्थ शिक्षा की विधियो को भी अपनाया जाये।

इसी क्रम में पर्यावरण शिक्षा के महत्व एवं उपयोगिता को देखते हुए पर्यावरण शिक्षा के अन्तर्गत प्रदूषण से सम्बन्धित विषय-वस्तु को पर्यावरणीय अवयव के रूप में अभिक्रमित अधिगम की टेक्नालॉजी के माध्यम से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। जिससे इस विषय के प्रति छात्रों में स्थायी जागरूकता का अधिकतम अधिगम हो सके। प्रस्तुत पुस्तक में विद्यार्थियों की रूचियों का विशेष ध्यान रखा गया है। जिससे विषय-वस्तु को पढ़ते समय विद्यार्थी बोझिल न हों। पर्यावरणीय अवयवों पर उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों हेतु अभिक्रम निर्माण एवं वैधता निरूपण को रेखीय शैली में प्रस्तुत किया गया है।

प्रस्तुत पुस्तक पाँच अध्यायों में विभाजित है-प्रथम अध्याय के अन्तर्गत समस्या की पृष्ठभूमि, उद्देश्य, अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्व, औपचारिक एवं अनौपचारिक केन्द्र, पर्यावरणीय अवयवों की चर्चा की गयी है। द्वितीय अध्याय में अध्ययन से सम्बन्धित सन्दर्भ साहित्य का प्रस्तुतीकरण, तृतीय अध्याय में अध्ययन का अभिकल्प तथा अध्ययन हेतु आवश्यक उपकरणों का निर्माण एवं उनका मूल्यांकन प्रस्तुत है। चतुर्थ अध्याय में प्रदत्तों का विश्लेषण एवं प्राप्त परिणाम की व्याख्या की गयी है। पंचम अध्याय के अन्तर्गत परिणामों के आधार पर प्राप्त निष्कर्ष एवं उनके शैक्षिक निहितार्थ आदि की विवेचना की गयी है।

आशा है यह कृति पर्यावरण क्षेत्र में कार्य करने वाले अध्यापक, शोध छात्र, वैज्ञानिक आदि के लिए मील का पत्थर साबित होगी एवं पर्यावरण विषय में रूचि रखने वाले वर्ग विशेष इससे लाभान्वित होंगे।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2007

Pulisher

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