Shiuali Ke Phool

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Shiuali Ke Phool

Shiuali Ke Phool

250.00 200.00

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250.00 200.00

Author: Dr. Leena Jha

Availability: 5 in stock

Pages: 110

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789390659357

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

शिउली के फूल

शिउली के फूल – अहल्या तुम जानती थीं ना वो इन्द्र हैं, फिर भी चुप रहीं। आख़िर क्यों? तुम क्या किसी की होती, द्रौपदी कोई तुम्हारे लायक था भी क्या ? परित्यक्ता, ना बाँध सकी पति को, प्रसूता। मेरी तपस्या भी कम नहीं थी। बहुत थक गयी हूँ, थोड़ी देर सोने दो। उषा के उच्छ्वास-सी, मदिर चंचल रागिनी मैं ताज पीहर की सलोनी, पिता का दृग मान भी मैं। राष्ट्रकवि दिनकर जी ने कहा था— “जिसकी बाँहें बलमयी, ललाट अरुण है। भामिनी वही तरुणी, नर वही तरुण है।” सदियों से नारी शिउली के फूल सदृश्य यामिनी के अंचल में कुछ स्वप्न बुनती आयी है। प्रत्यूष वेला संस्कृति की वेदी पर उन्हें उत्सर्ग नित निज अस्तित्व के आयाम की तलाश में पुनः प्रयासरत हो जाती है कोई तनया, भार्या, तिरिया, माँ! किन्तु वक़्त अब अहर्निश स्वप्नद्रष्टाओं का नहीं, बल्कि सीने पर हल चला संक्रमित ग्रन्थियों को दूर करने वाली ओजस्विताओं का है। शिउली मात्र अपने सुन्दर, सुगन्धित पुष्प हेतु नहीं किन्तु अपने सम्पूर्ण अस्तित्व हेतु विशेष है। ऐसे ही प्रसंगों को परिभाषित करती, कुछ झकझोरती, कहीं विरोध करती, कहीं हौले से थपकाती तो कहीं अनय को ललकारती, नव दृष्टिकोण और नये प्रतिरोध के साथ रचित और नव निर्माण हेतु प्रतिबद्ध, अहल्या के मौन किन्तु सशक्त प्रतिवाद को समर्पित एक अदम्य कृति।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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