Sidhyog Sangrah

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Sidhyog Sangrah

Sidhyog Sangrah

150.00 130.00

In stock

150.00 130.00

Author: Vaidya Yadavaji Trikamaji Acharya

Availability: 5 in stock

Pages: 164

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 0000000000000

Language: Hindi

Publisher: Shree Baidyanath Ayurved Bhawan Pvt. Ltd.

Description

सिद्धयोग संग्रह

प्रकाशक का निवेदन

वैद्य समाज तथा आयुर्वेद प्रेमी-जनता के सम्मुख ‘सिद्धयोग संग्रह’ उपस्थित करते हुए आज मुझे अवर्णनीय आनन्द का अनुभव हो रहा है। यह अनुभवसिद्ध योगों का संग्रह है और आयुर्वेदमार्त्तण्ड वैद्य यादव त्रिकमजी आचार्य जैसे कृतविद्य तथा सिद्धहस्त वैद्य द्वारा पचास वर्ष के अनुभव के पश्चात् लिखा गया है- इतना ही इस ग्रन्थ की उपयोगिता तथा उपादेयता के बारे में पर्याप्त है।

नवीन चिकित्सकों को चिकित्साकार्य प्रारम्भ करते हुए निश्चित फलदायी योगों का ज्ञान प्रायः न होने से बहुत कष्ट होता है। ऐसे वैद्यों के लिये यह ग्रन्थ अनुपम रत्नमञ्जूषा सिद्ध होगा। जिन्हें चिकित्साकार्य करते हुए पर्याप्त समय हो चुका है, उन्हें भी इस ग्रन्थ से अपूर्व लाभ होगा।

ग्रन्थ के लेखक वैद्य यादवजी महाराज की विद्वत्ता और अनुभव से आयुर्वेदजगत् सुपरिचित हैं। 18-20 वर्ष की उम्र से आपने आयुर्वेद के प्राचीन हस्तलिखित तथा अप्राप्य ग्रन्थों के उद्धार का कार्य प्रारम्भ कर दिया था। आयुर्वेदीय ग्रन्थमाला द्वारा आपने कई ग्रन्थरत्न प्रकाशित किये हैं। निर्णयसागर प्रेस से प्रकाशित होनेवाले अनेक आयुर्वेदीय ग्रन्थों का सम्पादन आपने किया है। हाल में आपने पाठयक्रमोपयोगी ‘द्रव्यगुणविज्ञान’ तीन भागों में तथा ‘रसामृत’ नामक ग्रन्थ तैयार करके प्रसिद्ध किया है। इसके सिवाय आपने न जाने कितने विद्वान् लेखकों तथा प्रकाशकों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर प्राचीन ग्रन्थों का प्रकाशन, प्राचीन ग्रन्थों की व्याख्या तथा आयुर्वेदोपयोगी नूतन विषयों पर ग्रन्थों का निर्माण और प्रकाशन कराया है।

अनुभव के विषय में इतना ही कहना पर्याप्त है कि आप ५० वर्ष से मुम्बई जैसी राजनगरी में सतत् चिकित्साकार्य कर रहैं हैं और यश का उपार्जन करते हुए भारत के प्रथम कोटि के वैद्यों में गिने जाते हैं। भारत के सब प्रान्तों के सभी कक्षाओं के अनेकानेक वैद्यराजों के आप सदा सम्पर्क में रहते हैं और इस प्रकार अनेक अनुभवों को भी प्राप्त करने और उन्हें स्वयं भी अनुभव में लाने का आपको सदा सुयोग बना रहता है। यूनानी वैद्यक का भी आपने तीन वर्ष गुरु मूख से अध्ययन किया है, जिसकी छाप आप इस ग्रन्थ में यत्र-तत्र पायेंगे।

इसके अतिरिक्त आपने अपने औषधालय में तथा मुम्बई की आयुर्वेदीय पाठशाला में आयुर्वेद का सानुभव शिक्षण देकर सैकड़ों शिष्य तैयार किये हैं जो आपकी यश पताका को और भी उज्जवल कर रहैं हैं।

इतने परिचय से समझा जा सकता है कि यह ग्रन्थ चिकित्सक-समाज को कितना उपयोगी हो सकेगा। यह उपयोगिता और भी बढ़ जाती है; जब हम देखते हैं कि ग्रन्थ अत्यन्त सरल और सुबोध भाषा में संक्षेपतः लिखा गया है तथा इसमें दिये योग भी ऐसे हैं जिन्हें बनाना विशेष कठिन नहीं है।

वाचकों के हाथ में ऐसा उत्तम ग्रन्थ अर्पित करते हुए मुझे अत्यन्त हर्ष तथा अभिमान होता है। पूज्य गुरु यादवजी महाराज का मैं अत्यन्त अनुगृहीत हूँ कि उन्होंने मुझे इस ग्रन्थ के प्रकाशन की आज्ञा दी; तथा आयुर्वेद की यह महती सेवा करने का अवसर दिया।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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