Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

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Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

200.00 180.00

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200.00 180.00

Author: Pramod Kumar Agarwal

Availability: 5 in stock

Pages: 164

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180317538

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

यदि सभी व्यक्ति निजी स्वार्थों में ही लिप्त हो जायँ, तो इस संसार की गति बन्द हो जायेगी, सूर्य प्रकाश देना बन्द कर देगा एवं हवा चलना बन्द कर देगी। यदि संग, संस्थान, समाज या देश आगे बढ़ेगा तो उस समृद्धि में उसे भी अपना अंश अवश्य ही एक दिन मिलेगा। जब तक इस तथ्य की सांस्कृतिक चेतना जाग्रत नहीं हो जाती, हमारा देश लँगड़ा कर ही चलता रहेगा।

भूमण्डलीकरण का अर्थ यह नहीं है कि हम उदारीकरण या निजीकरण के नाम पर अपने आर्थिक ढाँचे का केन्द्रीकरण कर दें। सभी पद्धतियों का लक्ष्य है कि सबसे अधिक लोगों को सबसे अधिक लाभ पहुँचे। महात्मा गाँधी ने नीति-निर्धारकों को हर समय देश के निर्धनतम व्यक्ति की ओर ध्यान रखने की सलाह दी थी। हमें निश्चय ही विदेशी कर्जों के बोझ को कम करने एवं महँगाई घटाने के लिए बचत एवं सादा-जीवन पद्धति को प्रोत्साहन देना होगा।

यह परमावश्यक है कि हम देश में आर्थिक विषमता को दूर करें, भूमि-सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र में मानव-संसाधन का विकास करें।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2013

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