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Description
मन की अद्भुत शक्तियाँ
जीवन के सभी सांसारिक कर्म यद्यपि शरीर से ही होते हैं किन्तु उसका कारण मन ही है। जिसका मन जिस ओर जाता है उसी कार्य में उसकी प्रवृत्ति होती है, अन्य की ओर से वह उदासीन रहता है। कार्य को क्रियान्वित करने की योजना भी मन ही बनाता है, इस प्रकार जीवन के समस्त कर्मों का कारण केवल मन है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि मन ही मनुष्य है।
मन की उत्कृष्टता ही मनुष्य के व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बनाती है। मन स्वयं के संस्कारों एवं आनुवांशिक गुणों का समूह है, जो बाह्य वातावरण पाकर विकसित होते हैं, जो व्यक्ति के मूल गुणों के उद्दीपन का कार्य करता है जिससे उनके विकास का सुअवसर मिलता है। मनुष्य अपनी मनःशक्ति के संकल्प से ही कुण्डलिनी शक्ति को जाग्रत कर सकता है। मन की वृत्तियों को समझकर यदि इसका सुनियोजित उपयोग किया जाये तो मनुष्य के विकास की अनन्त सम्भावनाएँ हैं। सफल जीवनयापन के लिए मन की अद्भुत शक्तियों एवं उसकी कार्य प्रणाली को जान लेना जरूरी है। इसी को समझाने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
Additional information
Binding | Paperback |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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