Shri Parasara Samhita
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श्रीपराशरसंहिता
ॐ
श्रीराम जय हनुमान
श्रीपराशरसंहिता
श्री आंजनेयचरितम्
प्रथमपटलः
मन्त्रोपदेशलक्षणम्
श्रीजानकीपतिं रामं भ्रातृभिर्लक्ष्यणादिभः।
सहिंत परम वन्दे रत्नसिंहासने स्थितम्।। 1
- श्रीलक्ष्मणादि भाइयों के साथ रत्न सिंहासन पर विराजित श्रीजानकीपति राम को प्रणाम करता हूँ।
एकदा सुखमासीनं पराशरमहामुनिम्
मैत्रेयः परिपप्रच्छ तपोनिधिमकल्मषम्।। 2
- एक बार सुखासन में विराजमान निष्पाप तपोमूर्ति पराशर महामुनि से मैत्रेय ने पूछा।
भगवन्योगिनां श्रेष्ठ! पराशर महामते। किंचिद्विज्ञातुकामोडस्मि तन्ममानुग्रंह कुरु।।3
- हे भगवन् योगियों में श्रेष्ठ महामति पराशर! मैं कुछ जानना चाहता हूँ, अतः आप मुझ पर कृपा करें।
प्राप्तं कलियुंग घोरं मोहमायासमाकुलम् अधर्मानृतसंयुक्तं दारिद्र्यव्याधिपीड़ितम्।।4
- मोहमाया से आच्छन्न अधर्म, असत्य से युक्त दारिद्र्य व्याधि से पीड़ित घोर कलियुग आ चुका है।
तस्मिन् कलियुगे घोरे किं सेव्यं शिवमिच्छताम्। पूर्वकर्मविपाकेन ये नराः दुःखभागिनः।।5
- उस घोर कलियुग में पूर्वजन्म के कर्मवश जो मनुष्य दुःखी हैं, वह अपने कल्याण करने हेतु क्या उपाय करें।
तेषां दुःखाभिभूतानां किं कर्तव्यं कृपालुभिः
दस्युप्रायास्सदा भूपास्साधवो विपदान्विताः।।6
- उन दुःख संतप्तों के लिये दयालुओं को क्या करना चाहिये। राजा जन दस्युकर्म में प्रवृत्त हुये हैं और साधुजन विपत्तियों से घिरे हैं।
पीड़िताः कलिदारिद्रयाद्व्याधिभिश्चापरे जनाः
किं पथ्यं किं प्रजत्तव्यं सद्यों विजयकारकम्।।7
- कलियुग के दारिद्र्य एवं व्याधियों से लोग पीड़ित हैं। इनसे छुटकारा पाने का क्या उपाय है। किसका जप करें जिनसे दुःखों पर विजय प्राप्त हो।
संसारतारकं किं वा भोगस्वर्गापवर्गदम्
कस्मादुत्तीर्यते पारः सद्य आपत्समुद्रतः।।8
- संसार से तारने वाला कौन है। कौन लौकिक भोग, स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाला है। किस उपास से तुरन्त दुःख सागर को पार कर सकते हैं।
किमत्र बहुनोक्तेन सद्यस्सकलसिद्धदम्
शिष्यं मां कृपया वीक्ष्य वद सारं कृपानिधे! 9
- हे कृपानिधि! कौन सा लघु उपाय है जिससे सभी सिद्धियाँ तुरन्त प्राप्त हो जाये। कृपया मुझे शिष्य समझकर बताये।
एतत्पृष्टं त्वंया विद्धि लोकानामुपकारकम् घोरं कलियुग सर्वमधर्मानृतसंकुलम्।।10
- संसार के उपकार के लिये आपने यह पूछा है। यह घोर कलियुग अधर्म और असत्य से संपृक्त हो गया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Sanskrit & Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2008 |
Pulisher |
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